Saturday, April 25, 2020

क्या, बूढ़ा हो गया हूं मैं.... ?

जाड़ों में सर्दी अब ज्यादा लगने लगी है ,
मेरी पास की नज़र भी अब थकने लगी है 
मेरे सर के बालों का रंग भी बदलने लगा है 
ना जाने किसके प्यार में टूट कर बिखरने लगा है ।

अब मेरा चांद नग्न आंखो से साफ नज़र नहीं आता
यही पास में रखा उसका मकान नज़र नहीं आता 
हवाओं को मेरी नाक से अब ज्यदा टकराना पड़ता है 
इन सांसों को भी अब खुलकर इनसे गुजरना नहीं आता

बातो को अब बहुत सोच कर बोलने लगा हूं 
हर वजह पर इन लब्बों को अब चलाना नहीं आता 
वो पूछते है मुझसे आज भी मेरी हर फरमाइश 
पर इन दांतो को अब वो मसलना नहीं आता 

अब मुड़ मुड़ के उस देखने की आदत कम हो रही है 
गर्दन को हसीन मुद्दों से अब वो मिलना नहीं आता 
हर चोट सहन कर रखी है अपने मजबूत सीने पर 
पर अब इस सीने को , वो हर चोट सेहना नहीं आता 

यूं तो , मेरे हाथो ने अब दिमाग का साथ छोड़ दिया है 
तुम्हे कैसे बताऊं इन्होंने खुद को चलाना छोड़ दिया है 
हाथो की दस उंगलिओं को मै हर वक़्त गीन लेता हूं 
पर , मुझे मिले पानी का गिलास अक्सर छोड़ देता हूं 

दौड़कर अब सबको हराना नहीं आता 
हां अब मुझे तितली पकड़ना नहीं आता 
उसकी खिड़की से उतर अब मैं घर नहीं आता 
सच कहूं, पैरों को अब बिस्तर से उतरना नहीं आता 

राहों पर अब लोगो से मिलना हो नहीं पाता 
क्या करू मुझसे अब कहीं निकला नहीं जाता
वो सब कहने लगे है कि बूढ़ा हो गया हूं मैं 
तुम्हीं बताओ ,मुझे तो उनसे कुछ कहा नहीं जाता 

क्या , बूढ़ा हो गया हूं मैं ? 


2 comments:

  1. Awesome ☺☺ zindagi k HR umr k logon ko ache se smjhte ho aap, jo log kh NHi pate , Vo aap likh dete ho ,💕💕💕💕Ye apke liye 💕💕💕💕

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