फिर आपको वह सब चीज अचानक ही सुन्दर और अदभुत लगने लगती है , जिसका आपके वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं है ।
अब वह फिर चाहे Driver के बजते मनपसंद गाने हो , या फिर कंडक्टर के द्वारा लगाई जाने वाली आवाज़ या फिर उसका शोर । आप सब Enjoy ,कर रहे होते हैं ।
कुछ इसी तने बने में बुनी यह कहानी है l
तो आइए Alter Ishq की ये कहानी पड़ते है , उम्मीद है आपको पसंद आएगी ।
गांव का एक अल्हड़ लड़का , शहर आकर दो साल से काम कर रहा था । के अचानक उसके परिवार में उसके शादी की बात की चर्चा शुरू हो जाती है । और इस वजह से उसको रिश्ते की बात को आगे बढ़ाने के लिए गांव जाना पड़ता है ।
वह इस ख़बर के बाद खुश बहोत था , मानो अपनों से मिलने की उसकी व्याकुलता साफ साफ उसके चहरे पर देखी जा सकती थी ।
चहरे पर मुस्कान , बातो में बचकानापन और आंखो में चमक , साफ साफ उसकी इच्छाओं को प्रकाशित कर रही थी ।
उसे शहर से अपने गांव जाना था , सो उसने अपनी टिकट एक बस से करवाई , और अपनी पनपसंद सीट ( जो हम आप की अक्सर होती हैं ) Window वाली ली और अपनी सीट पर उस दिन समय से पहले पहोच कर अपनी सीट पर बैठ गया ।
उस वक़्त बस की अधिकतर सीटें खाली थी । वह वक़्त से पहले को पहोंच जो गया था । धीरे धीरे बाकी पैसेंजर भी आने लगे ।
उसके मन में कल्पनाओं भाव उठने लगा । और दिमाग में सौ विचार , उछल कूद करने लगे । उसको ये फिक्र सता रही थी कि उसके साथ वाली सीट पर कौन आएगा ।
के अचानक एक बेहद ही खूबसूरत लड़की उस बस के गेट से अंदर आती है और उस लड़की को देख , लड़के की पलके झुकना भूल जाती हैं । आंखे उसी को निहारने लगतव हैं, और दिल दिमाग बस यही सोच रहा होता है कि... बस वो उसके साथ वाली सीट उसकी हो ।
वह लड़की उसके पास आती है और सीट नंबर कन्फर्म करती है , लेकिन वह 3 4 सीटों का ज़िक्र करती है । तो दिमाग तैनात हो जाता है और उसके आस पास खड़ी उसकी family को भी देखता है । जिसमे उसका भाई और माता पिता भी शामिल थे । जिनको उसकी आंखो ने देखने से इंकार सा कर दिया था ।
ख़ैर उनको देख दिमाग इत्मीनान से उनको सीट की डिटेल बताता है और खुद को तसल्ली देते हुए , बस के गेट की तरफ देखने लगता है ।
बस आगे चलने लगती हैं और वह लड़का , खूबसरत वादियों , नदियों , खेतो , फसलों और अपनी यादों का लुफ्त लेने लगता है । अपनी विंडो सीट का वह पूरा आनंद ले रहा होता है कि अचानक बस एक स्टॉप पर आकर रुकती है ।
और आंखे फिर उस बस के गेट पर चली जाती है ।
इस बार फिर एक खूबसरत लड़की बस में चढ़ती है और आकर, उस लड़के के आगे वाली सीट पर अंकल जी के साथ बैठ जाती है ।
उस लड़की को देख, उस लडके का मन अपने साथ में बैठे बूढ़े पर नाराज़ सिर्फ इसलिए होता है कि उन्हें भी उसी स्टॉप पर उतरना होता है । और वह कंडक्टर को आवाज़ देर से देते है ।
मन एक घने अफसोस के बदलो से गुजर जाता है ।
बूढ़े के उतारने के बाद बस चलती हैं , और वह लड़का उस लड़की को देखते हुए , अपनी शादी को लेकर , खुशनुमा यादों में खो जाता है ।
क्या होगा, कैसा होगा ऐसे अनगिनत सवालों से उसका दिमाग़ लड़ने लगता है ।
पर मन ही मन वह अपनी सीट से ज्यादा , उस अंकल की सीट को महत्व देने लगता है जिसके साथ वाली सीट पर वह खूबसरत लड़की बैठी थी ।