Friday, February 7, 2020

मुझे उससे मिलना था ...

वक़्त की करवटों के साथ , कहानियों का संग्रह होना लाज़िमी हैं । कहानियां जिसमें खुबसूरत यादों के , फूलों को पिरो , उसको एक माला का आकार दिया है । 
कुछ ऐसी ही खुबसूरत यादों का , एक सुन्दर सार है यह कहानी ।  जिनमें रोज़ की बातों से ज्यादा , उन नटखट , सुन्दर और आकर्षक पलों को बताया है , जिसमें ये कहानी बसती है , तो आईये शुरू करते हैं , ALTER ISHQ की ये कहानी , आशा है आपको पसंद आएगी .....!!

दुध सी सफेद , गर्मी का वो दिन,  जब वो पहले दफा , हमारे गली में खाली पड़े जमीन को देखने , अपने परिवार संग आई थी ।  और मैं उसी गली में दोस्तों के साथ कंचे खेलता हुआ  , उसको देख , देखते ही रह जाता हूं । 
8- 10 साल की उम्र में यह कैसा आकर्षण था जो बयान नहीं हो रहा था ।  जुबां तो कुछ कह नहीं रही थी , और आंखें किसी और से बोलना नहीं चाहती थी ।
 खैर जमीन का वो खाली हिस्सा उसकी Family खरिद लेती है । पर अपना घर,  वो 10-12  साल बाद उस खाली,  खरिदी जमीन पर बनवाते हैं । इंतजार के 10-12 साल बाद वो एक बार फिर से , मुझे दिखाई देती है ।
इस बार भी उसको देख , वहीं रुक जाने का दिल किया । इन ढूंढ़ती आंखों को बहोत बातें करनी थी उससे और लबों को तो मानो इन्कार कर दिया था कुछ कहने से ।
लेकिन उम्र के इस पड़ाव में , पैरों को चाहकर भी रोक ना सका , बदनाम ना हो जाऊं कहीं इन आंखों की मनमानियों से , इसलिए खुद को बहोत जल्दी रूकसद करना पड़ा ।  
माना एक अरसा गुज़ारा है इन आंखों ने खामोशियों में , पर बात भी तो ,अपनी गली की थी । 
फिर भी दिल ना जाने क्यों बहोत खुश था । शायद वो समझ बैठा था,  कि घर तो अब बनवा लिया है, तो कभी ना कभी मुलाकात तो होगी । और दिल को शायद इस बात की काफ़ी खुशी थी , कि 10 - 12 साल बाद ही सही , अब वो इन आंखों के पास तो रहेगी । 
लेकिन वह घर उन्होंने बनवाकर , किरदार को किराए पर दे दिया । 
और करीब 5-6  साल बाद,  उसका पूरा परिवार,  अपने घर में रहने के लिए आए ।
पर इस बार परिवार में सब तो दिख रहे थे , पर मन जिसको देख कर मिलना चाहता था , वो नहीं दिख रहा था । आंखें मानो बेचैन सी हो गई थी । लबों को इशारा तो बहुत किया , केहने को । लेकिन घबराईए आंखों से कुछ बोला नहीं जा रहा था ।
काफ़ी समय बाद लबों ने , हरकत दिखाई , तो उसकी शादी की बात सामने आई ।

उस दिन मैंने खुद से बेहद बातें की , खुद की गलतियां खोजी । 
आंखों को आईने के पास लेजाकर , उन आंखों से खुद को कई बार देखा । पर कुछ ख़ास जवाब , खुद से मिला नहीं ।
खैर यूं तो , 
मिलकर उससे , मुझे बहुत कुछ कैहना था ।
बीते इस लम्बे इन्तज़ार को , 
उसके चुनर में जड़ें , उस मोती सा छोटा करना था ।
हां , मुझे उससे मिलना था ....!!

1 comment:

  1. Beautiful and ♥ touching feelings ,, khushnaseeb Vo ladki jisko Tumne mahsoos kiya 💕💕

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