Saturday, December 14, 2019

एक दोस्ती ऐसी भी,,,

" दोस्त " एक शब्द है , जिंदगी में आने वाले पहले अंगड़ाई का । जिसके साथ से,  ये जिंदगी सुलझने लगती है । और इस जिंदगी में मिठास घोलने लगती है। 
लेकिन कुछ जगह ये दोस्ती उलझ सी जाती है, और कड़वा सी कर देती हैं , इस जिंदगी को।
कुछ ऐसी ही कहानी है इस Alter Ishq की , जहां उलझी उलझी सी है दोस्ती , और उलझे उलझे हैं वो सब ।
तो आइए पढ़ते हैं , "एक दोस्ती ऐसी भी " ।
एक शहर , जिससे दूर एक कस्बा बस्ता है , जिसमें कुछ जिंदगियां ,खुद से जीने का , संघर्ष कर रही हैं । 

इन्हीं जिंदगी में से दो जिंदगी निकल आती है , इस शहर मे , जहां लोगों के बीच दूरियां बहुत है , लेकिन फिर भी सब मिलकर रहने की कोशिश करते हैं ।
हां इसी शहर में ,जहां ये शहर बोलता तो नहीं पर कभी कभी चिखता ज़रुर है । 

तो इस शहर में , यश और मानसी भी अपनी अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने आते हैं । क्योंकि वो मानते थे कि शहर हमारे कस्बे से काफ़ी बेहतर और खुबसूरत है , शहर में सब से रहते हैं , अच्छा पढ़ते हैं, बड़ी बड़ी गाड़ी में सवारी करते हैं , और अच्छे पैसे कमाते हैं , ऐसे ना जाने कितने उम्मीदों को लेकर , वो दोनों भी शहर आये थे ।
यश का स्वभाव अच्छा था और पढ़ाई भी अच्छी की थी तो यश को नौकरी जल्दी मिल जाती है , लेकिन मानसी यश के विपरित थी । इसलिए शहर में मानसी को सफलता नहीं मिल पा रही थी। लेकिन यश ने मानसी का साथ नहीं छोड़ा था और उसको अपने घर में रहने के साथ-साथ , उसकी मदद भी करता था । 
वक्त के साथ साथ , मानसी और यश एक दूसरे के बहोत अच्छे दोस्त बन गए थे और एक दूसरे से अपनी सारी बात करते थे ।
एक दिन मानसी बेहद निराश बेठी थी और खुद से बेहद परेशान भी थी ।  तो यश केहता है , देख मानसी अब ना तो तेरे पास पैसे बचे हैं और ना ही तुझको तेरे मुताबिक कोई काम मिला है ।  अगर तु , बोले तो मैं अपने Office में बात करूं , अब तो मुझे भी काफ़ी वक्त हो गया है और उनको नये Staff  की भी जरूरत है । मानसी को नौकरी में कोई दिलचस्पी नहीं थी , लेकिन हालात बिगड़ते देख उसने नौकरी के लिए मनाया खुद को , और यश के साथ नौकरी करने लगी , और धिरे धिरे यश को पसंद करने लगी थी लेकिन यश इन सबसे अनजान था । और इधर यश भी किसी को चाहने लगा था और वो भी उसी Office  में थी पर वो मानसी नहीं थी। 
मानसी को यश का किसी के पास जाना , उसके पास किसी भी लड़की का आना , अब पसंद नहीं आ रहा था । मानसी यश को लेकर बहोत गम्भीर हो गयी थी । 
और यश अभी अनजान था मानसी की गम्भीरता को लेकर जो कि अब एक सनक बन चुकी थी शायद । 
एक दिन यश ने अपनी बात मानसी से बताई , कि वो और सपना एक दूसरे को पसंद करते हैं और हमने एक दूसरे के परिवार से भी बात कर ली है , जल्द ही हम दोनों एक हो जाएंगे , पिता जी भी जल्दी शहर आ रहे हैं । 
मानसी को ,  ये बातें सुनकर गुस्सा आ जाता है और वो अपने कमरे में चली जाती है , और अपने सपनों को फिर से टुटता देख , वो एक ग़लत फैसला कर जाती है । 
और रात के खाने में ज़हर मिलाती है । 
यश खाना खाने के बाद हमेशा के लिए शांत हो जाता है और मानसी उस शांत पड़े यश पर , देर रात तक , चिखती है - चिल्लाती है और अंत में खाने का बचा हिस्सा , वो भी खाकर , हमेशा के लिए सो जाती है ।

उस रात भी यह शहर चीखा और देर सुबह तक इसका शोर शहर के हर हिस्से में बना रहा और फिर ये शहर शांत हो गया ।











Monday, December 2, 2019

हां मैं लड़की हूं ....

मेरे , घर में आने पर , 
आज भी कुछ आंखों में खुशी नहीं आती हैं 
और चेहरे पर ऐसे भाव दिखाई देते है, मानो 
कोई समझौता सा किया हो ख़ुद से ।
समस्याओं कि एक ऐसी पहेली में फस जाते ये सब, जिसका जवाब मैं , हर वक्त , हर जगह , और हर शब्द में देती हूं । 
जिन्दगी को छिनना और इस छिनी गई जिंदगी को , जीकर बताना , ऐसी ज़िद्द मैं बरसों से करती आई हूं ।
मैं लड़ती हूं , बीखरती हूं , टूटतीं और संवरती भी हूं 
पर हार जाने से , मैं आज भी बहुत डरती हूं ।
हां मैं लड़की हूं , जो हर वक्त बदलती आई हूं। 

लेकिन आज मेरी लड़ाई ओर अधिक बढ़ गई है । शायद मेरी ज़िद्द ने मुझे , बहोत ताक़तवर बना दिया है ।
क्योंकि किसी एक की औकात नहीं , जो मुझसे जीत सके , सब झुंड में ही आते हैं, और वो भी तीर कमान लिए ।
और नहीं होती हिम्मत जो मेरे मुंह पर बोल सके , सहम जाते हैं सब , अपनी छोटी बात लिए ।

पर मुझे अभी और शक्तिशाली बनना है , कि
झूक जाए वो नज़रें , जो मुझे हर तरफ घूरती है , 
खत्म हो जाऐ वो वहशीपन, 
जो मुझे घूरते वक्त , उनकी सोच बनती हैं ।
यूं तो हर उम्र में लड़ती आई हूं और लड रही हूं ।
लेकिन फिर भी पुछ बेठती खुद से ‌, कि

किस उम्र में खेलूं कूदू , या पढू क़िताबें खोल के , 
बाबूल के आंगन में ही डसते , कितने काले लोग रे। 

ऐसी बहुत सी कहानी है मेरी , जिनमें मैं कमजोर लगती हूं । मुझे लड़ना है और अपने हर सवाल का जवाब जानना है , जैसे कि,,
चौदह दिन का छोटा पौधा, क्यों तुने खिलवाड़ किया ।
दो महीने सींचा फिर से, क्यों टेहनी पर वार किया ।
चार साल तक बचती आई ,क्यों पत्ता पत्ता तोड़ लिया।
सात साल में लड़कर मर गई, क्यों बारह में उखाड़ दिया।
१३, १५, १७, २६ हर उम्र में , क्यों विनाश किया ।
कैसी है हैवानियत तुझमें , कि
मरने के बाद भी, मेरा शिकार किया ।
लेकिन, 
एक दिन वो भी आएगा जब मैं , इन सब सवालों का जवाब लूंगी और तेरी हैवानियत खड़ी जल जाएगी ।

तब मैं किसी से मदद नहीं मांगूंगी , मोमबत्ती नहीं जलवांउगी , शोर नहीं मचवांउगी बल्कि  
मैं भी तुझे  जिंदा वहीं जलाऊंगी और बेपनाह चिल्लाऊंगी ताकि तेरी चिख़ भी ना सुन ले कोई , 
मैं ऐसा तांडव मचाऊंगी ।

मत भूलो मैं वो लड़की हूं 
जिसने बंद दरवाजों से हवाओं का सफर किया है ।
तुम्ही को पाल , तुमको कांधे तक किया है ।
मैंने नदियों से , समंदर का रास्ता तय किया है ।
और सबसे जरुरी बात, तुमको पैदा तक किया है ।

अगर जाग गई हैवानियत मुझमें( लड़की )
तो क्या तुम कर पाओगे , 
पैदा होना तो दूर , पनप तक ना पाओगे ।

हां मैं लड़की हूं ।












Monday, November 25, 2019

Shadi Ke Baad

Sabse Bacha Kar Ke , Mene Izzat Bacha Ke Rkhi Hai... Aksar Yehi Sochte Hai , Ek Ladki Ke Mata-Pita ... 
Lekin Iss Baat Ki Ehmiyat , Ladki Ke Shaadi Ke Baad , Yaa Toh Kam,  Yaa Fir Khatm Ho Jati Hai... Aur Shadi Ke Baad Woh Ladki Kisi Aur Ki Ho Jati Hai..  Lekin..
Kabhi Sochta Hun, Toh Uljh Jata Hun , Khud Ke.. Angint Sawalo Me.. 
Mujhko Uljha Dete Hai , Woh Laad , Pyaar , Izzat Aur Uske Sath Bitaya Gya Woh Lamba Waqt Jo Shyad , Us Ladki Ke liye Bahot Hi Khubsurt Hua Karte "The".  
Bas Issi "The"  Se Parrshan Hun... Yeh "The" , "Hai"  Kyu Nhi ? Yaa Hamesha Aisa Hi Rahega Kabhi Badlega Nhi... Aisa Kyu Nahi... 
Khair Mere Swalo Ka Jawab , Shayad Ho Aap Ke Paas , Par Me Sahmti Nhi De Pta Apni Pta Nhi Kyu.. Kyuki Mujhe Mile Jawab Mujhe Aur Uljha Dete Hai. 
Khair...
Aatey Hai ... Apni Kahani Par... 
Shaadi Ke Baad...  Jahaan Hum Aksar Pyaar Kaa Har , Chehra Badal Dete Hai.. 
Yaa Yunn Keh De , Bahot Saare Naye Chehre Jod Lete Hai.. 
Aisi Hi Kahaani Hai.. Jahnaa Ishq Itne Saare , Loge Ke Bich Ghutney Lgta Hai..
 
Toh Shuru Karte Hai... Umeed Hai Aap  Pasand Karenge.....Iss Alter Ishaq Ko... 

Ke Ladki , Jiska Naam Riya Shah Tha..
Lekin Shadi Ke Baad Uska Naam , Riya Sharma Ho Gya Tha..  Woh Shuru Se Hi Apne Name Me Badlaaw Nhi Chahti Thi.. 
Woh Chahti Thi , Ki Uski Identity Change Naa Ho.. Jiski Baat Woh Apne Husband Se Bhi Kehti Thi.. Lekin Husband's Uski Baato Ko Sunkar Ansuna  Kar Deta Tha...
Husband's Ki Family Me Sab Usko Pasand Karte The.. Lekin Riya Ab Khud Ko Pasand Nahi Kar Rahi Thi... Kyuki Woh Jaanti Thi Ki , Yhaan "Riya Sharma " Ko Pasand Kiya Jaa Rha Hai , Naa Ki "Riya Shah" Ko.
Uski Yeh Soch, Waqt Ke Sath Aur Badhti Jaati Hai... Kyuki Kabhi Usko Tarif Milti To , "Sharma" Ke Sath Usko Judna Pdta Tha.. Aur Koi Galt Kehta Toh "Shah" Ke Sath..
Jaisa ki Uske Sath , MA Ke Results Ke Sath Hua.. Riya Ne MA , Achhe Number Se Pass Ki Thi ... Toh Padosio Ko Bhi Khabr Mili.. 
Woh Bhi Badhaayi Dene , Ghar Aaye , Tab Saas Ne Bada Hi , Garw Mehsusu Krte Hue Kaha.. Are "Sharma" Khandaan Ki Bahu Hai "Sharma".
MA Hone Ke Baad Riya Job Karna Chahti Thi..  Lekin Yhaan Family Ka Kehna Tha..
Sharma Khaandan Me Ladkiya Naukri Nhi Karti Hai..  "Shah" Logo Me Hota Hoga.. 
Tum Job Bhul Jao..
Ab Riya Khud Ko Thga Hua Saa Mehsus Kar Rahi Thi... 
Samay Ke Sath , Responsibilities Badhti Hai, Toh Dikkte Parehsaniyaa Samne Aati Hai.. Kuchh financial To Kuchh Roz Marra Ki Baate... 
Iss Waqt Par , Riya Sharma Ne Fir Job Ki Baat Ki... Iss Baar Virod Utna Nhi Hua .. Or Naa Hi Shah Family Ki Baat Hui... 
Aur Riya Sharma Ko Job Jo Izzazt Mil Gyi.. 
Riya Ko Ek Achhi Company Me Job Mil Gyi... Joki Usse Sasur Ke Friend Ki Thi ... Ye Baat Riya Ko Nhi Pta Thi Aur Naahi Uski Sharma Family Ko.. 
Job Milne Ke Baad , Usne Family Ko Btaya , Toh Family Ko Khushi Hui.. Lekin Jab Pta Chala Riya Ke Sarur Ke Friend Ki Company Hai Toh.. Baate Bhi Bahot Hui.. 
Jinme Se Ek Thi..Uske Husband's Ki.. 
Are Uncle Ne Sharma Dekhte Hi Rakh Liya Hoga , Akhir Woh Bhi "Sharma" Hai...
Riya Tum Agar "Shah" Hoti To Mushkil Hota Tumko.. 
Aur Tumhare CV Me Mera Naam Bhi Toh Hai... Uncle Se Me Kayi Baar Mila Hun.. 
Mera Naam Unko Yaad Hoga Hi... 
Unhone Meri Yaa Papa Ki Baat Ki Thi , Kya Tumse...
Riya Mn Hi Mn Muskurai , Aur Khud Ko Samjhane Lgi... 
Ki.. Itna To Me Samjh Gyi.. 
Sharma Aur Shah Ke Iss Kashmakash Ko Yhan Samjhna Mushkil Hai , 
Sahi Aur Behtr Me Kewal Sharma Ki Wajah Se Hun. Akhir Me  Sharma Family Ki Bahu Jo Hun.
Aur Naa Chahte Huye Bhi Woh Ek Bar Fir Muskurai.. 
Kyuki Woh Janti Thi... Ki Woh Akeli Nhi Hogi... Aur Bhi Riya , Khud Ko Talash Rahi Hongi....Ki Akhir Woh Kab "Shah"Hai Yaa Fir Kab "Sharma"..







Sunday, October 27, 2019

Diwali Ke Diye.....



Bantey Hai , Bigdtey Hai.. 
Kadi Dhoop... Me Jaltey Hai... 
Yeh Diwali Key Diye Hai,  Janaab ...
Aise Thodi Bazaar Mein Nikaltey Hai.. 

Sajtey Hai , Sawartey Hai...
Tarah Tarah Ke ,Rango Me Dhaltey Hai...
Yeh Diwali Key Diye Hai, Janaab .
Aise Thodi Bazaar Mein Nikaltey Hai...

Chote Hai , Badey Hai....
Har Saanchey Me Dhaltey Hai... 
Yeh Diwali Key Diye Hai, Janaab... 
Aise thodi Bazaar Mein Nikaltey Hai...

Umeed Hai , Roshani Hai....
Har Kimat Mey Miley Hai... 
Yeh Diwali Key Diye Hai.. Janaab
Aise Thodi Bazaar Mein Nikaltey Hai... 

Apkey Hai , Hamarey Hai..
Har Ghar Me Sajj Ke Nikhartey Hai... 
Yeh Diwali Key Diye Hai, Janaab
Aise Thodi Mein Nikaltey Hai.. 

Deepo Ka Yeh Pyaara  , Festival Aap Sabko Bahot Bahot Mubaark... 
Happy Diwali...







Sunday, October 20, 2019

Mere Ghar Ki Mehndi....

Aaj Mein Bahot Khush Tha,  Kyuki Umeedo Ke Gamley Mey , 
Ek Naya Paudha Nikhar Kar Aaya Tha... 
Kaali Mitti Ki Ret Me,  Ek Pyara Phool Khil-Khil-Aaya Tha ... 
Aur.. Mene , Issey Dekhte Hi, 
Iske Liye Khwaabo Ka , Ek Mahal Apne Dil Me Banayaa Tha.. 
Aur Fir Iss Dil Ki Khwahisho Par......Baarish Ki Bundo Ne Bhi Apna Ghar Basaya Tha ,

Lekin Dhire Se Barish Ki Bund Me Pathar Shaamil Huye ...  
Me Kuchh Kar Paata Isse Pahle , Woh Pathar Mere , Mahal Ko TodKar Na Jaaney Kidhar Chale Gaye.... 

Kuchh Aisi Hi Kahani Hai.... 
Jahaa Sab Jagah Pyaar Faila Hai... Lekin Waqt Ke Karwat Ke Aage , Iss Pyaar Ka Koi Wazood Nhi Rehta.... 
Aur Iski Jagah... , 
Zidd , Gussa , Lachari ,Majburi , Bebasi , Jaise  Haalat Le Lete Hai... 
Aur Fir Woh Hota Hai , Jo Hamari Umeed Me Nahi Hota... 

Toh Shuru Karte Hai ... Iss Alter Ishaq Kahani..... 

Baat Unn Dino Ki Hai , Jab Ek Mehndi Ke Vaipaari Ki Beti, 
Ke Hatho Me Mehndi Lagne Waali Thi.... 
Shaadi Aache Ghar Me Aur Achhe Ladke Se Ho Rahi Thi , Toh Ghar Me , Sab Bahot Khush The , Beti Bhi Khush Aur Kuchh Sapne Bun Chuki Thi Aur Undino Pita Ka Mehndi Ka Vaipaar Bhi Achha Chal Rha Tha...

Lekin Jaise Hi Uske Beti Ke, Mehndi Ki Tareekh Paas Aayi , Woh Beti Thodi Dari Aur Ghabrai... 
Kyuki Jiske Haatho Me Mehndi Sajani Thi.. Uske Haath Ab Mayus The.... 
Aur Unn Haatho Par Malikana Haq Rakhne Wali Woh Beti , Ab Khush Nhi Thi.... 
Samsyaa Sirf Itni Thi, Ki Ishq Ka Ek Panna Uski Zindagi Me Bhi Shamil Tha.. Jo Uska Kabhi Bhi Nahi Tha.. 
Ab Ashaao Ke Mele Mein , Woh Anjaan Bani Bhatkne Toh Lagi Thi..
Par Talaash Bhi Uska Kar Rahi Thi, Jo Uss Mele Me Kabhi Shamil Hi Nahi Tha..
Aise Rishtey,  Jo Pannptey Toh Hai , Par Faltey Nahi.. Aise Ishaq Koi Wazood Nahi Hota , 
Kyuki Isme Ek Hissa Gambhir , Toh Dusra Gambhir Nahi Hota... 
Fir Aisa Rishta, De Jaata Aksar Woh Takleef Apno Ko , Jo Unki Zindagi Me Kabhi Shamil Hi Nhi Hota.. 

Khair Kahaani Mein, Aage Badhte Hain.. 

Yeh Jaankar Pita Ke , Aankho Ke Aage Andhra Kabzaa Karta Hai.. 
Aur Woh Inn Sabse Gumraah , Apne Aapko Kayi Baar Bedio Me Jakdtaa Hai.. 
Aur Haalaat Ko Sambhalney Ke Liye , Apno Ke Aage Tadptaa.. 
Aise Me..
Fir Apne,  Apno Se Bahot Saari Baate Karney Lagte Hai , 
Haalaato Ko Gair Samjh Khudi Se Beh-Panhaa Naa Jaaney Kyu Ladte Hai... 
Fir Chnd Lamho Ke Iss kamjor Ishaq Ke Kaaran , Zindagi Bhar Ke Ishq Ko Dasney Lagta Hai... 
Aise Me, Mehndi Kaa Ye Vaipaari , 
Apne Ghar Ki Mendi Ke Aage , Apne Aapko Kayi RAGDTA Hai.. 
Aur Chahta Itna Hai Ki.. Khushi Ka Woh Gehra Rang Uske Beti Ki ,Zindagi Me Hamesha Ke Liye Chad Jaaye .,
Naa Ki Woh Rang Jo Hmesha Andhere Me Rahta Hai..
Khair., 2 Saal Ke Pyaar Ke Aage, Yeh 21 Saal Ka Pyaar Kayi Baar Tutta Aur Bikharta Hai...
Tab Jaa Kar,  Apno Aur Samaaj Ke Karan Yeh Khushiyo Ka Rishta , Bahot Hi Niraasa  Ke Saath Judta Hai..
Beti Ko Mehndi Bhi Lagti Hai., Aur Uski Doli Bhi Uthti Hai.. 
Par Khushio Ka Woh Rang , Ab Ruth Gya Tha.. 
Aur Aise Me ,Woh Pita....
Bahot Kshmaksh Me Fsa , Khud Se Yeh Hi Puchh Rha Tha..,
Kyuki Woh Samjh Nhi Paa Raha Tha...Ki
Kis Mehndi Ka Rang , 
Uske Aangan Me Nhi Chada... 
Uska , Jiska Woh Vaipaari Tha.. 
Yaa Fir Uska , Jiska Woh Pita Tha..



Saturday, October 19, 2019

Ek Ghoont Aur Sahi.....

Chaahat Yun To Sabhi Rakhte Hai...
Kabhi Jayda Toh Kabhi Kam Rakhte Hai..
Khair Chahto Aur Umeedo se Judee iss Duniya me Aksr Har Baat Waisi Nahi Hoti , Jaisa Hum Chahte Hai.. Waisa Mil Nahi Paata...
Kuchh Aisi Hai Story Hai Yeh..
Suljhi Si , Unsuljhi Si.....
Ek School Ki Library Ke Gate Ke Paas , Khadi Ek Ladki.. Jo Library Ke Gate Tak Hi Simit Hai.. Shyad Usko Isse Aage , Jaane Ki Izzazt  Nahi... 

Vastav Me Uss School Ki,  Ek Nayi Building Ka Kaam Chal Rha Tha..
Toh Kuchh Majaduro Ney , Chhote Chhote Tent Bna Rkhte The.. Jimne Se Kuchh Ka Parivaar Bhi Wahi Unke Sath Hi Rehta Tha.. Jabtak School Ki Nayi Building Ka Kaam Chal Rha Tha.

Unhi Parivaar Me Se Ek Ladki Woh Bhi Thi...Jo Uss School Ki Library Tak Hi Simit Thi..
Aankho Se , Books Ko Dekhte Hi , Uski Aamkho Me Chamnk Si Aa Jaati Thi.. Jisey Dekh..., Uski Chaht,  Saaf Samjh Aati Thi..

Lekin Drishay Tha Jo Chubhta Tha , Woh Yeh Ki.....  
School Ke Bachho Ke Haath Me Kitaabe.. Aur Uske Haatho Me Woh  Ek Taslaa..

Jo Buniyaad Khadi Kar Rha Tha , Aaney Waaley Sapno Ki... Unn Umngo Ki , Jo Uss Nayi Banney Waale Building Me Padney Wale The...

Aur Iss Har Pal Ko Nihaartey , Samjhatey  Woh Log Jo Gujara Karte The , Usi Dagar Sey , Jhaa  Ek Umeed , Ek Sapna , Ek Khwahish , Bas Uss Ek Ghoont Ko Betaab Thi... Jo Uski Ashaayein Puri Kar De.. , Par Woh  Raahgir Uski Har Khwahisho Ko Jaante Huye Bhi.. Uske Samne Khaamosh The .. 

Khair Yeh Silsilaa Jabtak Chala Jab Tak School Ki Nahi Building Ban Nahi Gayi...  Umeede Dam Todti Gayi, Aur Raasto Ne Manzil Badal Li....

Ab Uss Ghoont Ka Pta Nahi , Jo Woh Chahti Thi... Lekin Ghoont To Li Thi Usne.. Uss Library Ka Gate Hamesha Ke Liye Chhorte Waqt.. 

Woh Kehte Hai Naa.... 

Key.... Nahi Milti, Har Udaano Ko Woh Manzil...  , Kahi Kismat Ruthi , Toh Kahi Raah Tuti  Hoti Hai...

Sunday, September 22, 2019

Ek Katl Aisa BHI....

Jab ek chidiya nikalti Hai apney ghosley se Subah Aur Shyam Ko laut Kar Ghar aati Hai.
Bs Isi Subah Aur shyaam ke bich basey Armaano ki kahani Hai ,joh basti Hai uskey dimaang Mey...... Aur ruthti chali jaati Hai bitatey Raat ke Saath .....

Kuchh Aisi Hi Kahaani Hai Uss Gaon Ki Chulbuli, Naadan , Duniya Ki Khabro Se Anjaan Ladki Ki , Jiske Mata Pita Ney Uska Rishta Pakka Kiya Hai...
Woh Sabko Samjhti Aur Sabko Khush Rakhney Ke Liye , Sabsey Thoda Jyada Jeeti Hai... Ghar Mey Rishto Ki Daulat Jyada Thi , Isliye Viraast Mey , Rishto Ko Samjhna Ussey , Apno Se Beh-Hisaab Mila Tha..
Khawahisho Ko Samet Kar Rkhna , Or Uskey Unn ,  Sametey Gaye Khawaabo Ko Pura Kareney Ke Liye , Uskey Mata-Pita Ney,  Uss Rajkumar Ka Naam , Uske Kaano Me Bharna , Bachapan Se Hi Shuru Kar Diya Tha..
Aur Uski Umr Bhi Aise Padaav Par Thi,  Jaaha Khawahisho Ka Janm Lena Lazmi Hai..
Aise Waqt Mey Uska Rishta Pakka Hona , Kuchh Aur Haseen Tha ,Uskey Liye...

Shyad Unn Kalpnaao Ko , Ab Wastavik Roop Lena Tha.., Jissey Woh Bachpan Se Chahti, Jeeti Aur Pal Pal Sahejati Aa Rahi Thi...
Aur Jiss Rajkumar Ka Naam Usney Brso Sey Sunaa Tha , Jisko Dekhne Ke Liye Usney Barso Se Aas Lagaai Thi... Uski Woh Ghadi Ab Aa Gayi Thi..
Jis Waqt Mey Woh Puri Tarh Samaayi Thi..
Usskey Sapno Me Jinaa,
Raat Bhar Uski Baate Karna ,
Sakhiyo Ko Btana,
Uski Pasand Naa Pasand Ki List Bnanaa, Unn Sabhi Khaawbo Ka ,
Ab Revisions Hone Lga Tha... Kyuki Revisions Uskey Khud Se Saheje Gaye,  Unn Khubsurt Khwaabo Aur Palo Ka Tha,  Jinko Woh Bachpan Se Padti Aayi Thi...
Aur Jab Yaado Me , Itney Khubsurt Khwaab, Armaan Or Vishwas Shamil Ho To Yakeen Maniye Aur Bhi Khubsurt Ho Jaata Hai , Uss Pal Ke Aaney Kaa Intezar ..,,
Jiskey Liye Woh Beh-Panhaa Khush Thi...
Lekin Kya , Jiskey Hone Kaa Ehsaas Itna Khubsurt Ho ,
Woh Wastavik Me Bhi Itna Haseen Or Khubsurt Hota Hai...
Shayd Mushkil Hai....
Jahaan Rishto Ko Maryada , Sammaan , Aur Partishtha Jaise Sabdo Se Jod Diya Jata Hai , Khamio Ko Majaburi Ka Naam De liya Jaata Hai...
Jahaan Zindagio Ko Saheja Nahi , Balki Baandh Diya Jata Hai...
Kuchh Aisa Hi Hua , Unn Haseen Khawbo Ke Saath , Jinka Hakikat  Sey Koi Wasta Nahi Tha... Yaa Yunn Kahiye, Yeh Sapney Aur Khawaab Uskey Nahi The...
Fir..kya..
Woh Tuti.... Aur Tut-Kar Chur Chur Hogyi...
Naa Jaaney Kyu Nahi Samet Paayi Woh Khud  Ko, Jab Ek Tez Hwa.... Bikhrney Lagi Uskey Saarey Armaano Ko.....
Lekin.....
Baat Rishto Ki Thi , Aur Rishto Ki Talim Hi... Usey Khub Mili Thi , Isilye Woh khaamosh Thi... Aur Yeh Pakka Rishta Bakhubi Nibhaa Rahi Thi...

Tuesday, September 17, 2019

Ek Din Sukun Kaa.....

Ummid key dhaago Mey , khawahisho ke phoolo ko piro Kar rakhta hu har din..
Isko yakeen ka Haar bannaney keliye...
Yunn toh Niklta Hun Aksar....
Mere Roshani par chhaaye inn baadlo se Ladney... lekin issey inkalti maasum Bundey,  bhigo deti Hai mere jism sey niklney waale har gusse ko , Aur Labbo par rakhi har shikayte , achank gir si jaati Hai... Inn motio se baney chhote se samundar me Kahi...
Aur.....
Mein shaant khada , mehsus Karta hun.. ek anokhey se sukun ko..
Par asal me ,Isney fsaa liya Hai.. mujhe Apne jaaduyi khel mey .., jisney merey jism Mey basey har gussey ko chura liya tha.. Aur Puri Tarah khud ko lutaaney ke baad bhi .., khud ko naa jaaney kyu  ab bhi amir samjh rha tha .
Zindagi ke khuchh aise hi , jaduyi kissey judey Hai hamerey Jivan sey..
Jiski ummid ki Roshani bahot dur tak faili Hoti Hai .. Aur Dil yeh Sochta Hai , Zindagi kaa, Ek padaav toh me Iss Roshani key sahaare , Ek din toh paar Kar lunga..
Par..
Asal Mey Zindagi bahot badmaash hai..,  waqt ke saat milkar yeh , ummid key  sahaarey khelti har khel...
Aur dimang ko Majboot Kar ,khokhla Kar deti Hai , Jivan key Har Aadhaar ko...

Aur sukun kaa Woh Ek Mukamal Din ..
Askar hamre Zindagi ke Saath huye contract ke baad bhi mukamal nhi hota..
Kyui...
USS waqt Bhi.. kuchh Rab sey, hamaarey Rooh ko sukun Miley ki prathnaa Kar rhe hote Hai ...

Thursday, September 5, 2019

Gol Gappe Ki Dukaan...

Mausam Khushnuma Ho To , Aksar Nind Ke Chadar Ko Mod , Takiye ke Niche Dbaa , Safar Ke Hseen Saathi Ke Saath , Umeed ka Darwaza kholte huye ,Yeh Dil Isse Milney Nikal Padta Hai..
Aur Doob Jaata Hai Iski Madhoshiyo Mey , Jab Yeh Pehli Saans, Dilse .. Khinch Kar Bharta Hai... Nikhar Jaat Hai Jism Ki Saari Silwatey , Yeh Ishq Kuchh Iss Kadar Damktaa Hai... Yunn Toh
Waqt Ke Saath , Yeh Pet Bhi Machalta Hai , Aur Jeb Me Padey Uss 10 Rupye Ki Or Ishaara Karta Hai..
Kya Khaye , Kahaan Khaye , Kitna Khaaye , Isi Soch Me , Yeh Naa Jaaney Kyu Itna Bhatakta Hai...
Talaash Khatam Hoti Yaa Nazrey Ruk Hi Jaati Hai... Jab Uss GOL GAPPE Ki Dukaam Par Uskaa Woh Sundar Mukhda Chamkta Hai...
Pair Khud Hi Ruk Jaate Hai Uski Dukaan Par ,Aur Woh 10 Ka Note Bhi Sath Hi Sath Niklta Hai..
Yeh Ho Rha Hai , Yaa Me Kar Rha Hun ,
Yaa Fir Yehi Sochta Hua Fisal Raha Hun..
Yeh Tey Karna Mushkil Ho Gya Tha..
Aur Mey Usko Dil Ki Nazr Se Notice Kar Rha Tha...
Uski Ankho Ka Yun Mtakna , Gol Gappe Ko , Uss Harey Tikhey Paani Ke Saath Apne Labbo Ke Bich Rakh Kar Khana , Aur Uski Lal Mithi Chatni Kaa Uskey Labbo Par Lag Jaana..
Uskey Baad Bhaiya Se Yeh Kehnaa Ki , Arey Thoda Ro Tikhaa Bannaao, Par Thoda Jaldi Bhi Khilaao.. ,
Humarey Liye Toh Maano Woh GOL GAPPE Ki Dukaan Naa Ho , Jannat Ka Woh Ghar Ho , Jo Humey Marney Ke Baad Mila Tha..
Aur Hum Khoye Sey The Uskey Har Adda Mey.. Jo Behad Aam Si Hi Thi ...
Par Humarey Liye Behad Khaas Ban Rahi Thi... Ke..
Tabhi Ek Awaaz Si Gunjati Hai  Humarey Drmyaan , Aur Nazrey Uskey Saath Khadey Bhai Sey JaaKar Milti Hai...
( Uss Waqt YamRaj Ka Roop Maano Usko)
Uski Aankho Kaa Size Dekh , Uskey Dil Ki Saari Baat Samjhti Hai.... Hum Bhi Woh 10 Ka Note Waaps Apni Jeb Mey Rakh,  Apni Raah Badaltey Hai..

Tuesday, September 3, 2019

Saal Ka Woh Ek Din , Aur Intezar

Safar kaa mazaa akeley Lena, thoda mushkil Hai..
Tez barish me Ghar sey Nikla, thoda mushkil Hai.. 
Mushkil Hai inn hwaao kaa kaid honaa...
Yeh Ishq , sach kahu...
Tera , Intezar krna,  Mushkil Hai....
Sunna Hai Ishq me baicheniyaa khaa jaati Hai , Rooh ko, 
Aur Jism ko aksr , Intezar dfnaa deta Hai..

Kuchh aisi hi , khwahisho ko dafn Karti yeh kahani Hai , Alter Ishq ki.....
Jismey uska woh din bhi mayuss bhara Hai , jisme Woh khulkar Jiti Hai ,Khudi ko....
Waise , Apna desh bhaarat , festivals yaani teej tevhaaro Ka Maha-Sagar Hai ..
Ismey har rishtey Aur har insaan ke liye, koi naa koi ek parv , upwaas yaa utsav shamil Hai... Joh utna hi khubsurt Hai , Jitna Uske aaney Ka Intezar krnaa...

Toh ab Aayie iss kahani Mey Alter Ishq ko samjhne ki koshish Katey Hai..

Ek Ishq Jo Ghar me rehta Hai , aur talaash Karta Hai apna Woh saathi jisme Yeh Ishq bstaa hai..
Aaj naa jaaney kyu yeh behad niraash Hai..
Din khushio kaa Hai , Par Iske Dil me  mayusio Ka waas Hai...
Din dhalta Hai toh , toh yeh Ghar ke chhat par chadh , Apney Ishq Ka Intezar Karti Hai, Jo issey Kahi dur , jaa bsaa Hai..

Aaj Pura Saal hone ko Aaya Hai , Aur Woh Ishq abhi wapas nhi Aaya Hai..

Aur Iska,  Woh tevhaar aa gya , Jo Uske Bina adhura Hai.. Aaj Ghar me, badi chachi , Didi , Bhaiya , Sakhi - Saheli , Sb bahot Khush Hai.. lekin yeh aaj bhi Intezar Mey Hai, Apni Puri Khushi key..
Wese toh ....
Bazaar ki karib, sabhi kimti chizo ko kharid , khud ko behad kimti bnya Hai.
Lekin fir bhi iska mol laganey wala, Ghar nhi aaya Hai... Yunn toh
Khubsurti ko kharid mene , Isney saadi Mey pehna Hai, Aur aankho ki chamak , Isske  kaajal kehnaa Hai..
Gahno ko samet Isney , Aaj Har Sringaar Kar dhaaley Hai...
Saji aaj Puri Hai... Fir bhi adhura har ek Sapna Hai..

Subah kaa Suraj dubta ,Aur shyaam kaa chaand niklta Hai ...
Intezar kaa har pehar ,Naa Jaaney Apni konsi baat, issey kehta Hai..
Aur yeh Apni Ishq ki yaad ko liye , bs Ussi key aane intezar karta Hai..
Intezar , mayusi ko khat likhta Hai Aur iskey Dil ke saamney , yeh Pura Sandesh padhta Hai.., 
Jisey Sunkr, Iska Mnn naa jaaney kyu,  itna tadpta Hai.. Aur uskey Naa aaney kaa ishaara samjhta Hai...
Fir uski yaado ko Sahil bnaa ,  Aankho key jariyein , khwaabo Mey Bula ,
Ishq key Unn khubsurt Palo ke Saath sone lgta Hai... Jismey Woh Ishq Dilsey  samjhta Hai...

Friday, August 30, 2019

Ek Tukda KARZ

Hello , Dosto...
Ek baat Hai..agar aap kisi karz Mey Hai, ab Woh karz chahey jis Roop me ho ,  lekin yeh karz  aksr hme satata Hai , thoda preshan Karta Hai , aur apno se dur le jaata Hai...
Yun toh anek log jitey Hai , aisi hi Kisi kashmakash me , or khud ko bhul jaatey ... dartey Hai khudsey , par Naa Jaaney kyu Auro ko dratey Hai..
Khud ko Iski bedio me kar kaid , mujrim sey ban jaatey Hai..
Samjhna kuchh nhi chahtey , fir bhi sabko samjhatey Hai...

Aisi hi ek kahaani Hai , jisme Ek alter Ishq bstaa Hai...

Toh Aayie Iss kahaani ki baat krtey Hai...

Dur Ek Gaon me , Nadio , Pahado Aur khubsuat harey kheto , ke bich ek Ishq basaa thaa ,
Jahaa subah ki taan Aur shyaam ki Ajaan ko waqt man jeet leti hai..
Ugatey Suraj Aur Nikalte Chaand me basti Zindagi jahaa, jahaa bahot khubsurt lagti Hai..
Logo ke bich ki muskuraaht , ney bhi iss Gaon ko ek manmohak Roop Diya Hai...
Or Inn Sankey bichh Woh bhi thi Jo , Iss khubsurti ko Aur haseen bnaaney me lgi Hai..
Jo
Thodi natakht , todhi chulbuli thi..
Par Dil ki , bahot bhali thi...
Roop aisa ki Kisi ko bhi , ussey pyaar ho jaaye...
Aur asal maayeno Mey , Usko ho gya , yeh Ishq ..
Woh bhi ussey
Jo inn  haseen wadiyo me,  rahakar bhi, inn khubsurt waadio or inmey rehtey logo Ka nhi hai ..., Khair...
Safar kaa paymaanaa thoda badta Hai..
Aur Inn dono kaa Dil,  Thoda Aur pighlta Hai..
Khyaawb Or khwahisho key panno ki kitaab, ban chuki thi,
Par Naa Jaaney kyu, Yeh Zindagi Unki wahi Ruki thi...
Ishq ke Saath hi Saath  , pareshanio ki ek Potli bhi thi, jismey saari baate chhipi Hai..
Potli khuli toh , thodi Aur Uljh si gayi Zindagi..,
Uski pehli hi khwahish me, simat si gayi Zindagi..
Shabdo Ka pitara khulaa toh.. baat,  ek Karz par aa tiki.... Wese toh
Iss Karz Ka koi mol nhi tha , shyad isilye Anmol tha..,
Par kuchh bhi kaho..,
Ishq ke panno me,  yeh pannaa... bhi kaafi ahem tha..., Kukyi
Jinhoney paala mujhe itney Saal sey, unsey gadaari kese kartey..
Nazro ko.. Kar band , kinki pehredaari kaise kartey...
Baanho ko khol , Jo Swaagat kartey Hai aaj tak Mera...
Unki baanho ko chhod , hum Nadaani kaise kartey ...,
Par Ishq me uljhe hum, uski pehli hi khwahish me fasey the...,
Aur Ek Baar firsey chuppi lagaaye wahi khadey the...,
Aankho namm thi , par usiko Dekh rhi thi.,
Unsey bhi, dhyaan sey Dekha hmey..
Fir Dhirey sey aankho ko upar Kar , uss asmaan ko nihaarney lgaa..
Hum bhi uski niraash aankhey,  Dekh sab samjh gye they..
Ab, Jahaa Zindagi Har mod par , khud ko naap-taul Kar chalti Hai... wahaa khawahise, sabki puri nhi hoti.... Aur naajaane konsa karz hota Hai ,
Jo rok deta hamey, karch hone sey..., Shayd
Hum Iss Ek tukdey karz ko samjh gye they.... isilye kuchh Anjaan sey khadey the...



Friday, August 23, 2019

Maasoom Si Zidd ....

Raat key samay taaro Ney , ek kaaley chaadar par , khud ko piro Kar , Roshani Dena shuru Kar Diya thaa.. Lekin
Chaand kaa , abhi aakar , uss kaaley chaadar par chhanaa baaki thaa..
Nazrey uss chaand ko Dekh , Uskey roop ko chhuna chaahti thi...
Itney Mey chaand Ney dastak dikhayai..
Aur , taaro ki himmat badhaayi...
Aur Dharti par Roshani failayi...
Iss pyaar bhari Roshani sey Dharti bhi muskuraayi...
Aur Woh , Ab bhi...Chhat ke koney par bethaa..,
Apney chaand ke intejaar Mey,  mobile liye..,
Iss chaand ke , aaspaas key taaro ko Dekh Rha tha..
Aur iskey, sath hi sath ...
Chhat key uss kono par Beth Kar ,woh mn hi mn , Naa jaaney konse saheen khwaab , jee rha tha...
Waqt kaa silslaa , yunn hi uski Soch ke Saath badta gya.. Aur Woh,  thoda wyaakul saa ho uthaa..
Usney fir , kayi Baar ,
Apney phone sey uskey phone ki ghanti bajaayi...
Par har baar nirasha hi haath aayi...
Waqt kaa bitnaa Aur Uskey phone kaa Naa Uthnaa,
Dono hi usey maayus Kar rhe the .. Aur Kahi naa Kahi ....
Uskey dimaag sey khel , usko kathor Kar rhe the... Asar bhi jald hi dikhaa..
Jb , Usney zidd ki raah apnaayi..
Aur khud sey , kuchh yunn kahaa..,

Intezar Mey jalnaa kya,
Mey ussey baat Karna chhor dungaa.
Naa Uthaungaa phone, Naa karungaa,
Arey., Mey to ussey milnaa chhor dungaa.

Itna keh Kar , Woh uss chhat ke kone sey uthta Hai .. Aur Do hee kadam chalta Hai...
Ki itney mey , uska woh maayuss saa phone, Bajta Hai...
Mobile Mey uska Number dekh , Uska mn bhi pighlta Hai..
Fir kyaa , kuchh hi Palo Mey
Uss maasoom sey zidd kaa,
janaajaa uthta Hai..
Aur kadmo ko pichhey Kar , Woh Chhat kaa wahi konaa pakdta Hai....





Thursday, August 22, 2019

Bus Ki Ek Seat....

Subah kaa Suraj , shyaam me dhal rha tha..
Mausam bhi apna mizzaj badal,
Toofan ko invitation card, dey chukaa tha...
Or issi mausam ke drmayaan,
Mey Apni bus kaa intezar Kar rha tha..
Thodi Der bitey hi they , key intezar khatm hota Hai ..
Bus nazar aati hai, par mn baichen hota Hai.. Karan sirf itna... ki..
Bus me bhid bahot thi..
hum thakey bhi bahot they..
Or seat ki ummid bhi nhi thi...
Mausam ke halaat badlte Dekh ..
bus ko pakdna hi munasib samjha...
Bus me , shaamil hotey hi..
Samundar ki pahli Lehar se, takraaye hum..
Or pehli Lehar ke sath hi , khuchh kadam hi aagey badh paaye hum.. ab kyuki lehro Ka silsilaa jaari rha..
Toh hmney bhi Puri koshish Kar, Ek kinara pakd hi liya...
Or bolaa aaney do ab, inn  sheitaan lehro ko... hum to bs yehi jame rhenge..,
Itne mey jis seat ki Rod humey pakdi thi ..
Uss seat par baitha bandaa , thodi haraart dikhata hai..
Thoda saa hilta Aur humsey puchhta hai..
Bhai kyaa yehi Ram Nagar kaa stop hai..?
Uskey itna puchhte hi , Dil naach uthtaa..
Aur hmney muskuraatey huye kahaa...
Ji  ji.. bus agla hi stop hai..
Itna suntey hi , chaar nazro Ney bhi uss seat par nazre gadaai..
Maano Saawan ke jhulo Mey , patjhad Ney le li ho angdaai...
Lekin uss seat ki Rod ko pakdey hum , maano Sher ki tarh daad rhe they....
Pura kabjaa kiye huye , bs mauke ko ,
Nihaar rhe they....
Itne me parinda udaa , aur humey cheel si tezi dikhaatey huye uss seat ko lapk liyaa..
Fir Baith kr ,ek lambi saans li...
Aur Unn chaar Nazro sey , Nazrey Churaayi...
Itney Mey mausam Puri, Angdaai le chuka tha..
Baarish ki bundo sang ,  Mausam, behad khushnumaa ho gya tha..
Safar thoda lammba tha..
Isliye Hume iss, Ek Seat kaa matabl pta tha...
Kyaa apke Saath aisa hua Hai.. comments box me btaye...

Saturday, August 17, 2019

Mera Pehlaa Din....

Jab usski Aankhein itney pyaar se,  mujhe Dekh rhi hongi...
Kar Rahi hongi hazaaro baat , or mujhse kehh rhi hongi...
Tujhe ab raahat toh hain..?
Koshish bahot ki hogi,  uss din kehney ki...
Lekin kuchh bhi kehna mushkil tha..
Jubaan bahot nazuk thi , Aur bs Hosh hi toh  tha...
Umido sey bhari baato key baad, jannat sey milaya gya..
Jab mujhe, Maa key God me sulaaya gyaa..
Sukun itna ki , aakho ke Moti , achank muskuraaht me badal gyey...
Raah ke kankad , naa jaaney kab ,
Phoolo me badal gyey..
Ek Aur khubsurt Ishq , Nihaar rha thaa ,
Baichaino ko smet, Idhr-Udhr baag rha tha...
Aur jab uski nigaah mujhe takraayi..
Meri palko ne bhi aahat dekhaayi...
Uskey Aankho me pyaar itna tha ki ...
Jannat ko ek Baar chhor, Uss Pitaa ke siney se lagney ko thaa...
Par Woh gambir they, kuchh Soch rhey they..
Apni hi uljhno me uljhey.., Maa se kuchh bol rhey they..
Wese toh bahot strong they , bas mujhe uthaney se Dar rhey  they .
Kahi kuchh ho naa jaaye mujhe , Iss baat ki fikar Kar rhe they ...
Unhoney koshish ki , Aur Dhirey se haatho
Ko MERI Or bdhaayaa..,
Fir Mujhe Utha ,apney dilsey se lgayaa...
Dhadkney itni tez thi ,ki...Mey ghabrayaa...
Kahiin kho naa du inkey, Ishq ko...
Isliye Motio ko bahaanaa bnaa , Maa ki God me samaayaa....
Pitaa ki uljhne ,ab suljhne lagi thi...
Maa ke Saath milkar , bahot sii mithi Baatey karney lagi thi...
Khushiyaa Itni thi , Ki Palko Ney,  
Nazrey jhukaai Aur thodi si lee angdaayi...
Tabhi Maa sab samjh gayi...
Pitaa ko rok , mujhko Mithi si thapki dekr sulaayi..
Pitaa Ney bhi , Maa ki baato me sehmati dikhai ...
Aur merey Maathey ko chum...
Kuchh pal ke liye ,Di bidaayi....
Dosto , Iss dharti par ishawar , kewal do hi roop me Hai ... Mata  Aur  Pitaa...
Or yeh hi Ishq , sabsey khubsurt Hai...

Monday, August 12, 2019

Uski Jeb Aur Woh Duriyaan....

Yunn toh anaik Ishq bastey Hai... hamarey darmayaan... ,
Par kuchh Ishq Hai ,
Joh.., Rehtey toh har waqt dilo Mey Hai,
Bas, Milne ko tarstey Hai...
Or Iss tarh key Ishq mey ehsaas bstaa , Aur yehi ehsaas , 
Iss khubsurt ishq ko , mithaas ko barkaraar rkhta Hai...
Kuchh aisi hi kahaani Hai, aaj ki..
Jahaan ishq toh beshumaar Hai , par inkaa mil pana mushkil Hai...
Or jab Baat ek shehar sey, dusre shehar key Ishq ki ho,  
Toh kasoorurwaar inn nazro ko hi thehraaya jata Hai,
Jo Apne shehar ko bhul, dusre shehar key Ishq mey kho jaatey Hai.. 
Khair.... hum chup chaap ..,Kahaani par aatey Hai....Toh,
Uska Iss tez daudti duniya me, mujhse takraana , 
Aur ussi pal ,  saari kaaynaat Ka  Ruk jaana.... 
Jubaan ko khbol, Baato Ka silsila, dhire dhire aage badnaa..,,
fir ,baato kaa Aakar "Do shehar ki Durio par, Ruk jaanaa" , 
ab ishq Baato sey behad khubsurt lag rha tha.., 
Toh , Duri ki baat par , uss waqt dhyaan nhi gya, Aur baato ka silsila aage badhta gya.....
Ab uski baatey sunn , yeh Dil kya smjhane lgaa ,
Yehi Hai , Woh , hmsey btaakar , hami ko sataaney lgaa...
Itni hi Der mey, Woh humsey pichha chhudaney lgaa... 
Baat bs itni si thi , usko ghar jaakar, hmaarey sapno me kho janaa tha...
Par jaatey jaatey woh apna number de gya..,
Uski Baato kaa jaadu dil par, khuchhiss kadar chhaya tha, 
Key khwahisho Ka Jhola , ab bharney ko aaya tha..,
Tamanna ab unko chhukar ,muskuraaney  thi...,
lekin unn durion ko bhi toh humaarey khwahisho par julm dhana tha... 
Jispr hmaara dhyaan , uss waqt nahi gyaa... Jis waqt hmey, sab samjh jaana tha...
Ab, Inn haatho ko , Jeb tak jaana tha... Or dimaag ko kuchhh hisaab lgaana tha....
Jaisey hi Haatho Ney, Jeb ko chhuaa, dimaagi hisaab bigad gyaa..
Fir kya tha , Dil ko samjhaa , durio kaa matlab ... 
Uskey mithey ehsaaas me doob jaana tha...

Apko kya lgti Hai .. Iss Alter Ishq ki wajah.. , Uskey jeb se dimaagi hisaab bigad jaana ...
Yaa fir Woh duriya jispar, uska dhyaan nhi gyaa...

Sunday, August 11, 2019

70 Saalo Waala Ishq.. "KAASH."..

Iss lambey waqt me bhi , Iss behtreen ishq ko,  Sukoon naa Mila....
Kabhi Dil ko raahat... toh, Kabhi chahre par Noor naa Mila...
Yunn tohh ishq Karte Hai hum , iskey jism ke, har hissey ko.,.
Par aaj tak iss Jism ko, mukamal Rooh naa Mila...
Baat kare iss ishq ki khubsurti key baarey Mey ,
Toh yakeenan bahot Kuch, btana chhut Jayegaa....
kabhi ,Iske god me basnaa , toh kabhi gale lgaana chhut jaayega...
Wese to yhaan , hwaaye baat kiya krti Hai Sabse..., , 
Par yakeen maano unn jharno Ka , Gungunaana chhut jaayegaa..
Pahaado par chalnaa , toh gehraayio me jaana chhut jaayega  ..
Bahot khubsurt Hai, IsKa har hissa ..
key Iskey Yaad  me , bahot kuchh btanaa chhut jaayega...
Lekin, aaj bhi Iske God me rhne sey , darta Hai har Dil , 
Yeh janta Hai Iske har ek viraane ko, iskey jakhmo ke thikaaney ko.. 
Woh kehtey Hai Naa....
Yuhin Nahi khubsurti ko bchaa ke rakhna hota hai, 
Kai Gidd hote Hai , Isey Noch khaney ko..
Hmesha jawaan rahne wala yeh ishq... 
Naa jaane kyu,  ab jhukney lgaa Hai,
70 Ka Huya Hai isliye , yaa apno ney hi , issey dasney lgaa Hai...
Lekin sach hai...
Jitni Baar yeh chehra hassa Nahi , ussey jayda royaa Hai..,
Bhar pet khane ke baad bhi,  yeh bhukhey pet soyaa Hai...
Wese toh....
Zindagi ka har rang isney , behad saadgi se jiyaa Hai,
Par sach Hai...
Ishq ke Laal Rang se hi, Isney khud ko bhigoyaa Hai...

Yunn toh itnaa faila Hai ISHQ , iski baaho mey, 
Ki ...ISHQ Karna hi, khauf ban gya Gaya Hai...
Aur ab toh , bnd lifaafey se niklta.. har Panna, 
Mithi Maut ban gyaa Hai..,

Or agar yunhi Chalaa , yeh silsila...., , 
Toh ek Din.. 
Nadiyaa behna , whaa kehnaa aur Suraj yahaan par Dhalna chhor degaa.. 
Yeh khubsurt Dil, Dhadknaa chhor degaa...

Thursday, August 8, 2019

Ek Bachchapan Aur Afreen Ishq...

Baat Bachchapan ki hoto, kuchh behtreen yaadein kaid, kr leti Hai, 
Hamare rooh se Judey, iss jism ko... 
Or..Mnn maano sirf or sirf mishri chahtaa ho... kadwaahat nhi..
Mano jaise Chahta ho Ussi pal ko waaps jinaa.... jisse Woh chhor Aaya Hai...
Jaise....
Maa Baap ki thapki , or bazaar kaa kaam krna..,
School naa jaane par, Papa ke promise or maa ki fatkaar sunna...
Uss Tiffin key khane ko, aaj puraa khaane kaa mnn krta Hai... Jo aksr hmare bag me reh jaati thi...
Glio me sharaart or padosio ki baat karnaa.,
Mohle ke dosto , ke bich , thoda hi Sahi,  par ustaad bnnaa...
Kisi ko hasana, toh Kisi ko rota Dekh rafuu chakr  ho jaana...
Bachapan ki iss khubsurt potli ko agar khole hum toh khud simat jaayeinge iski baanho mey..
Ban jaayeinge iska Woh hissa,  Jise yeh Dil aksr jina Chahta Hai...
Toh Aayie..,  Hum or Aap., Iss Afreen Ishq ko kuchh or karib se dekhte Hai....
"
"Ek bachpan ka jamana tha...
Jo khushiyo ka khazana tha...
Chahat Chaand ko paaney ki thi..
Par yeh Dil bhi titli ka Diwana tha..
Naa Toh khabar thi kuch Subah ki...
Naa hi Shaam ka thikana tha..
Thak-haar ke aana, school se..
Fir usi waqt khelne bhi jana tha...
Dadi ki kahani bhi thi...
Or yeh Dil Unn Pariyo ka diwana tha...
Baarish mey, kaghaz ki kashti bhi thi...
Aur Janhaaz Ka karobaar purnaa tha...
Har khel me Saathi bhi the...
Or Har Rishta nibhana tha...
Ghmo ka zubaan bhi naa thi....
Naahi unn zakhmo ka paimana tha..
Rone ki wajah bhi thi..
Or Hasne-Hasaane kaa bhanaa tha...
Masumiyat bhi aisi , jiska har shksh
Diwana tha...
Yeh kahaan aa gaye hum...
Are dosto , sach kahu to...
"wo bachpan kaa mausam hi suhaana
tha".........

Iss Alter ISHQ ki Yaade bahot khubsurt hoti Hai.. Aapki bhi hongi ....
To aap BHI Apna, Bachchapan ka koi ek khissa share karey...

Or iss haseen suggestion ke liye , ek behtreen Insaan kaa Dil se shukriya..
Jiska Naam Hai " Riya "....

Tuesday, August 6, 2019

Ek shart or Mera Haar Jana.....

Yeh wahi waqt tha, jiska hum or aap yakeenan intezar krte Hai... Takriban har koi iska thoda hi Sahi par aashiq jarur Hai..
Yeh waqt Hai hi aisa , ki aapke naa chahte huye bhi , aapke chahre par muskaan le hi aata Hai, jiska apko aur aapse Jude shksh ko intezar rehta Hai..
Jisme thodi Khushi Hai , toh thoda sukun, kahiin Dooriya Kam hoti Hai , toh koi Khawaab bun rha hota Hai..
Kahi miln hai, toh Kahi takraar , yaa fir koi kisise Milne ko bekraar....
Aisi tamaam chize Jo khubsurt Hai , hoti Hai iss waqt me... Or issi haseen waqt ko hum aur aap "shyaam" Kahte Hai .....

To Aayie alter ishq ki baat Karte hai....Woh shyaam Ka waqt tha , jab Suraj bhi apni duty Puri kr Ghar jaa chuka thaa....
Or Woh Apne dosto ke sath , chai ki dukaan par chai Ka intezar Kar rha tha..
Pakode taiyaar the,  to sab kha rhe the or baate Kar rhe the...
Baato baato me , ek dost ne shart Rakhi , kii Jo chai aakhir me piyegaa ,Woh kal chai or pakode khilaayega..  kii.., tabhi aankho Mey Kajal lgaaye , ek behad hi haseen ladki , uss chaai ki dukaan par aati Hai.., Uske aankho ke kajal se,  uski aankhe behad naseeli nazar aa Rahi thi...
Khubsurti ki baat kya kare hum , aankho ne hi ,, kayaamt dhaayi thi...
Khair Woh  dukaan par aati Hai , or ek pyaala chai kaa mangtwati Hai..
kyuki chai sirf hum dosto ki taiyaar hui thi, toh , usko intezar ko Kaha gya , hme bhi sukun sa ho gya , ab didaar bhi jyada Hoga , par uski baichaini Dekh, hmse rha naa gya..
Aur dukaan daar se apna,  pyaala usko dene ko Kaha...
Usne Jaise hi chai ki pehli ghunt , apne Labbo se li , maano banzr bhumi fir se khil uthi ,
Kuchh aisa hi , haseen mahaul bn gya thaa  hmarey Darmayaan..ki...
Hm khoye se reh gye , or usne chai khatm bhi ki or chali bhi gyi..
Uske jaate hi hme, dost ki shart Ka khyaal Aaya , haar to gye the , lekin kya pahle haarey...yeh Tey Karna mushkil tha...

Aap madad kriyegaa dosto , Iss Alter ISHQ ki kahaani me... Aakhir kya pahle gyaa...
Dost ki shart yaa bandey ka Dil.....

Friday, August 2, 2019

Barish ki Bundey Aur Uska Chala Jaana..

Saawan kaa mahina ho ,  Or  shiv shankar ke dino mey , gangaa jami par naa barsey, aisaa hona mushkil hai ,  Saawan key , iss barstey ISHQ mey , ek ALTER ISHQ chhipa hai .
To Aayie , Uss Alter Ishq ki kahaani ke baare me baat krte Hai... 
Joh iss barstey , Sawan mey shamil thaa....

Yunn, Dopahr Ka waqt or Suraj bhi pure gurur me tha... 
Roshni se dharti chamk Rahi thi Aur hwaa bhi maano Kahi gum si thi ...,
Tabhi achaank baadlo kaa ek jhund,  inn sb par haawi ho jata Hai..,
Kisi Ka gurur khatm , Hwaao ko pta mil jaata Hai..
Dharti ki chamk bhi saanwali ho jaati Hai 
Or Chahrey sey , khubsurat hansii futkar baahr aati Hai...
Jab baarish ki Bundey, iss pyaasi dhra ko chumm, gale sey lagaati Hai....
Tb maano yeh dharti , Bheeg jaati Hai , yeh iske ishq mey , 
Aur isme kho si jaati Hai....
Kabhi isko paas rakh kr ,bahot pyaar se sehlaati Hai .., 
Toh Kabhi iske ishq mey, tut ke bikhar si jaati Hai...
Naa jaaney kyu baarish ke bundo sang , yeh  Deewani ho jaati Hai..
Kuchh aisa hi khubsurt ishq , faila tha merey darmayaan , jise me jee rhaa tha... 
Key , Tabhi baarish ki bundo ke sang,  Uskey kheltey haatho ney , sharaart sii ki.. 
Inn dilksh,  bundo ko,  Apne haatho Mey kaid Kar, Thodi sjaawt sii ki...
Yunn toh Uske haatho kaa,  jaadu kaam kr rha tha , Iss Dil par... 
Lekin Uskey didaar ki izzajt bhi usney dii thi..
Shyad Uske haseen Chehrey ko,  Inn bàarish ki bundo sey, mohabat iss kadar hui thi...
hum usko dekh hi rhey the.... 
Key ,tabhi, baadlo kaa mnn badal gya , or  baarish ki bundo,  ko smet 
Woh dusre mulkk Nikal gya... 
Uske jaate hi, Dharti Ka Ishq niraash , Aur humara ishq hataash ho gya..
Kyuki bàarish ki bundo sang, Woh bhi naa jaane Kaha chalaa gya....

Thursday, August 1, 2019

Subah Ki Chai Or Woh Ishq..

Raat ki chaadar ko , jab pehli Kiran halke se hataati Hai.. Samjh jaati Hai, yeh Aankhein ,iss subah ki saraart ko, tabhi toh , thodey nakhre  dikhaati Hai ...
Subah ki pehli angdaayi Lene ke baad, yeh Aankhein , Chhat ki khubsurt god-me, Chai  Ko Apne Karib Paati Hai... Samne Rakhi chair kareeb bulati Hai , or haato ko ishaara Kar , Woh Chai kaa Cup uthwaati Hai.. Chai ki pehli kashh Labbo se , Lene ke pahle , uski mithaas , dimaagi bhramd Kar aati Hai... 
Aur jab iss Chai ki cup kaa , Milan inn Labbo se hota Hai .. toh maano ,subah kaa yeh meetha saa ishq Shyam ko,  fir iss haseen ishq me dubney ko taiyaar hota Hai...

Lekin ek ishq Aur Hai,  Jo iss Chhat ke pahle ishq ko , Behad Khubsurat banaata Hai.. Woh saamney ki Chhat par , har subah iss Chai ke waqt hi aati Hai...
Nazre aksar nihaarti Hai use,  par woh Hai , apni hi dhun me gungaata Hai...
Mana Uske hamaare darmayaan , Duri thodi jyada Hai... Par Uske haseen chehrein kaa , yeh Chai pahla diwana Hai...
Jo masumiyat se intezar katra Hai , subah ka ,aur Chhat ke uss koney par jaakr, khatm ho Jata Hai ..
Jahaan se uskaa haseen chehra , behad hi khubsurt nazar Aata Hai....



Wednesday, July 31, 2019

Alter Ishq

Hello dosto,
Jaisa ki hum jantey Hai kii ishq Karna behad aasan hota Hai aur isko barkar rkhna behad mushkil..
Ishq ki paribhasha naa jaane Humne , kitni Baar aur har Baar, kuchh alag hi suni...
Kisi ko Maa Ka pyaar ishq Lagta Hai ,toh Kisiko Baap ki daant.., Saawan ke barish ki Woh pehli bund ishq Hai , toh mere chhat se dikhti Uske chhat ki duri...
Koi kitaabo ke ishq me gum Hai , Koi yaado ke ishq me.. Dekha jaaye toh ishq ney, ek jaal saa bichha liya Hai, hmaare har tarf..
Hum chalte ,sambhaltey or fir fisltey Hai.. Iss ISHQ me... 
Kuchh aisi hi baato Ka zikr, Hum aapse iss blog ke jariyein aksar Kiya karenge ...
Jahaan yeh ishq aksar fisal jaata Hai , behak jaata Hai... Jahaan ishq ki mithaas thodi badal si jaati Hai...
Aasha Hai aap humara Saath hamesha nibhaayeingey ... Bs Isi ummid or bharose ke Saath ye shuruaat ki Hai Dosto... Kii apka pyaar milta rhega..... 
Toh Aayie Aapka,  Dil ki gehraayio se Swaagat Hai Iss...
ALTER ISHQ Mey....