यकीन मानिए आपका और हमारा दिल , कहीं ना कहीं किसी ना किसी , एक तालाश में रहता है ।
तालाश जैसे , रात को दिन की , रास्तों को मंज़िल की , आपको हमारी और हमको आपकी ।ऐसे ही ना जाने कितने लोगो की तालाश जारी है , हर शहर , हर गांव और हर नगर में ।
पर ऐसे में " एक तालाश " जो अक्सर हम आपको हर उम्र में रहती है , वह है प्यार की तालाश ।
लेकिन Alter Ishq की यह कहानी, प्यार को ढूंढ़ने की नहीं है , बल्कि उस प्यार को ढूंढने की है जो गुम हो चुकी है ।
तो आयिए उस गुमशदा प्यार की तालाश करते है । Alter Ishq की अपनी इस कहानी में .....
सांझ की दोपहरी में , एक युवक छत की गोद में बैठ सूरज को उसके घर जाते देख रहा था ।
तभी अचानक गली में , अनजाने शोर ने आहट सुनाई , और पास वाले घर में , राजू की किसी ने कर दी पिटाई ।
राजू की हालत देख , गली के ताऊ जी से रहा ना गया , लाठी उठाए राजू के घर तक चले आए और राजू को दो चार बाते सुनाई । ताऊ जी की आवाज़ बहुत भारी है तो गली के सारे लोग इकट्ठा हो गए । थोड़ी देर बाद ताई जी ने भी आवाज़ लगी और ताऊ जी को घर में बुलाया , बोली बेटी , शादी के बाद पहली बार घर आ रही है और तुम्हारी पंचायत खत्म नहीं हो रही ।
ताई जी की आवाज़ सुनते ही ताऊ जी , घर वापस चले गए । अब राजू का क्या हुआ क्या नहीं , कहनी इस विषय पर नहीं है , असल में कहानी के महत्पूर्ण किरदार ,वह छत की गोद में बैठा युवक है , जो सूरज को डूबते हुए देख रहा है , और वह लड़की है , जो शादी के बाद पहली बार अपने घर आ रही है ।
चांद के निकलते ही , वह लड़की अपने पति के साथ ताई के द्वार पर आ जाती है और ताई उनको घर के भीतर ले जाती है । और थोड़ी सी दूर , छत पर बैठा वह युवक , ये सब बड़े गौर से देख रहा था । आंखे मानो उसी के आने का इंतजार कर रही थी ।
समय का पहिया थोड़ा गुजरता है , तो सुबह उस लड़की का चेहरा , उसको अपनी छत से फिर से मुस्कुराता हुआ दिखता है । नज़रे मिलती नहीं है अभी तक , बस उम्मीद इतनी है उस युवक की , की जो तालाश वह आज तक कर रहा है , क्या वो भी वही तालाश कर रही है ।
इसी सोच में सुबह का पहर बीतता है , और शाम में बदलता है ।
शाम को वह लकड़ी अपने पति के साथ अपने छत पर आती है , और अपनी नज़रे इधर उधर घूमती है , और अपने आस पास के बारे में , पति को बताती हैं , इसी बीच उसकी , आंखे आकर ठहर जाती है , उस छत पर जहां से वह युवक , निहार रहा होता है उसे ।
मुलाकात का सिलसिला आंखो से शुरू होता है , और खामोश मुख के साथ , बहुत सी बातों आपस में बयां होती है । इसी बीच दोनों की आंखे थोड़ी नम होती है , के तभी लड़की के पति की आवाज , उस लड़की के कान तक आती है , और उसका ध्यान उस लड़के से हटाती है ।
उस रात लडको को , चांद आसमा में मायूस नज़र आता है , उस मायूस रात के बीच , उस लड़की का फोन किसी अनजान नंबर से बजता है ।
फोन पर उस लड़की की आवाज़ सुनते ही , वह युवक भावुक हो जाता है , क्या कहे- नहीं , उसको कुछ समझ नहीं आता है । बातो का सिलसिला आगे बढ़ता है , तो युवक अपनी हर एक बात उस लड़की से कहता है , जो उस युवक को उस लड़की से करनी थी ।
यह वह बाते थी जिसके लिए , वो लड़की उस युवक को आज तक दोषी समझती थी ।
युवक की बातो में , वह लड़की उसकी तड़प महसूस कर सकती थी , युवक ने जितनी भी बाते कहीं , वह सारी सच्ची थी । उसकी बातो सुन वह लड़की पूरी रात सिसकती है । और सुबह सूरज की पहली किरण के साथ उसके घर , उससे मिलने निकलती है ।
घर का दरवाजा खुलता है ,और युवक की मां उस लड़की के सामने होती है , वह लड़की बड़ी उत्सुकता से , उस युवक से मिलने का ज़िक्र , उसकी मां से करती है । इतना सुनते ही उसकी मां उदास सी हो जाती है और कहती है , जो है ही नहीं उससे मिलोगी कैसे । बेटी अपने घर जाओ,,, और दरवाजा बंद कर घर के भीतर चली जाती है ।
लड़की को समझ नहीं आता , वह मायूस अपने घर तक आती है , और उसका नम्बर कई बार लगाती है ,जीस नंबर से उसको कल रात फोन आया था । लेकिन उसका नंबर लगता नहीं है ।
उसको इतना परेशान देख , ताई उसके पास आती है , और उससे, उसकी परेशानी की वजह पुछती है , तो वह लड़की सारी बात , ताई से हैरानी भरे नजरो से बताती है ।
इतना सुनते ही ताई निराश हो जाती है , और अपने सर को उस लड़की के आगे झुकते हुए , उस युवक को सच्चाई बताती है ।
ताई लड़की को बताते हुए कहती है , उस युवक की मौत आज से 8 महीने पहले , तेरी शादी के अगली शाम ही , छत से गिरने से हो गई थी । हमने समाज और अपनी आन के लिए तुझसे झूठी बाते कही और उस युवक को परिवार के नाम पर बहुत परेशान किया ।
रिश्तों और अपनों की जाल में वह ऐसा उलझा की आज तक निकल नहीं पाया।
इतना सुनते ही , वह छत पर दौड़ कर जाती है , और डूबते सूरज के साथ , उस युवक की परछाई भी ढलती चली जाती है । और रह जाता है तो बस , " काला अंधेरा " ।
इसी अंधेरे में वह लड़की, छत की गोद में खड़ी खुद को निशब्द पाती है ।