इसके बाद दोनों ही , विश्वविधालय का रुख करेंगे , ये सोच राजू और आरज़ू बहुत ही खुश है ।
आरज़ू अपने घर का कार्य खत्म कर के ही , स्कूल जाती है क्युकी उसके घर में कोई और नहीं है जो उसका काम में हाथ बटा सके । आरज़ू के मां की तबियत ठीक नहीं रहती और पिता जी सुबह होते ही , खेत की और निकल जाते है ।
आरज़ू अपने परिवार की एक अकेली लड़की है , उसका रंग सांवला है ,और बहुत ही ज्यादा शर्मीली है , लेकिन इसके साथ साथ वह बहुत मेहनती और पढ़ाई में भी अच्छी है । आरज़ू अपने निर्मल स्वभाव से और अच्छे विचारो से गांव की एक आदर्श लकड़ी है ।
जिसपर स्कूल और गांव वाले भी बहुत नाज़ करते है ।
अब स्कूल का आखिरी बरस है , तो सभी विद्यार्थी काफी मेहनत से अपनी पढ़ाई कर रहे है , और स्कूल के बच्चो की लगन को देखते हुए , स्कूल के प्रधानाचार्य ने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया है , जिसको शहर का एक नामी कॉलेज आयोजित करेगा । और प्रतियोगिता जीतने वाले , विद्यार्थी को उस नामी कॉलेज में एडमिश मिल जाएगा और इसके साथ साथ कॉलेज उसके पूरे शिक्षा पर खर्च भी करेगा ।
इस प्रतियोगता के लिए स्कूल विद्यार्थियों को एक महीने का वक्त देता है तैयारी के लिए।
राजू जोकि प्रधानाचार्य का बेटा है , पढ़ाई में अच्छा है लेकिन आरज़ू की अपेक्षा उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं है । जोकि प्रधानाचार्य जी को पसंद नहीं है।
राजू के पिता उसको इस प्रतियगिता का महत्व समझाते है और राजू को मेहनत करके ये प्रतियोगिता जीतने के लिए कहते है ।
इधर आरज़ू को स्कूल के अध्यापक समझते है और इस अवसर को जीतने के लिए प्रेरित करते है ।
आरज़ू भी अपनी पूरी मेहनत में लग जाती है और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने लगती है ।
और राजू के साथ साथ स्कूल के सभी विद्यार्थी मेहनत करने में लग जाते है । आखिर उस नाम चीन कॉलेज में सभी को एडमिशन लेना था ।
प्रतियोगिता के सात दिन पहले , कॉलेज अपने अध्यापकों की एक टीम इस प्रतियोगीता की जांच के लिए भेजता है । जिसमे एक अध्यापक रमेश, जोकि काफी युवा हैं और खूबसूरत भी ।
स्कूल में विद्यार्थियों को चार भाग में बांट दिया जाता है ।
जिसमे से एक भाग , अध्यापक रमेश को मिलता है , और अध्यापक रमेश के भाग में आरज़ू और राजू भी शामिल है । विद्यर्थियों को चार भाग में बाटने के बाद , चार भागों में बटे विद्यार्थियों का , Practice Test लिया जाता है । जोकि उनकी तैयारी और बुद्धि को जानने के लिए किया जाता है ।
इस Practice Test में सिर्फ आरज़ू ही सारे प्रश्नों का सही सही उत्तर देती है । जबकि राजू अपने पिता के दवाब में आकर अच्छा प्रदर्शन नहीं देता है ।
आरज़ू का Test Paper , Check करने के बाद , अध्यापक रमेश , आरज़ू से बहुत प्रभावित हो जाते है , और अन्य विद्यार्थियों से आरज़ू के बारे में पूछने लगते है ।
इधर राजू का Practice Test में बेकार परिणाम देखने के बाद , उसके पिता उसपर बहुत नाराज़ होते है और पढ़ाई का बहुत ज्यादा दबाव बनाते है ।
अध्यापक रमेश जो की युवा थे और सुन्दर भी तो स्कूल की लड़कियां उनको पसंद करने लगी थी , और उनका आरज़ू के बारे में जानकारी लेना , उसके बारे में पूछना ये सब स्कूल की लड़कियों ने अलग तरीके के लिया था और आरज़ू को कुछ इस तरह से बताया , मानो अध्यापक रमेश ,आरज़ू की चाहने लगे है ।
अब क्युकी अध्यापक रमेश ज्यादा उमर के नहीं है और बेहद खूबसूरत भी है , तो आरज़ू को ये बाते सुनकर अच्छा लगता है और आरज़ू को लगने लगता है कि सच में अध्यापक रमेश उसको चाहने लगे है । और आरज़ू जाने अंजाने अध्यापक रमेश को चाहने लगती है , और ज्याातर समय अध्यापक रमेश के बारे में ही सोचने लगती है ।
इस वजह से आरज़ू का ध्यान ,पढ़ाई से हट जाता है और वह काल्पनिक दुनिया में जीने लगती है ।
इधर राजू को पढ़ाई में ध्यान लगाना मुश्किल हो रहा है क्युकी उसके दिमाग़ में उसके पिता के तीखे स्वर गुजते रहते थे ।
प्रतियोगिता का दिन ...
आज आरज़ू के पिताजी खेत पर नहीं गए है , क्युकी आज वह अपनी बेटी के साथ स्कूल आए है , और रास्ते में उसको अपने सपनों के बारे में बताते हुए आए है , जो आरज़ू के पिता ने आरज़ू के साथ देखे है ।
क्युकी वो जानते है कि अगर आरज़ू का एडमिशन इस नामी कॉलेज में हो जाएगा तो उनके और आरज़ू के सारे सपने पूरे हो जाएंगे ।
इधर राजू भी ,अपना बस्ता उठाए स्कूल की तरफ निकल लिया है , लेकिन आज वह अपने दोस्तो के साथ स्कूल नहीं आ रहा है । राजू स्कूल के दरवाजे तक आकर लौट जाता है , क्युकी उसको पता था कि वह यह प्रतियगिता जीत नहीं पाएगा और उसके पिता जी उस पर फिर नाराज़ होंगे । राजू खुद से हार मान चुका था । और इसी वजह से वह लौटते वक़्त अपने घर का पता भी भूल गया था ।
स्कूल में आरज़ू के पिता बहुत उम्मीद से , स्कूल के गेट पर आपनी बेटी आरज़ू का इंतज़ार कर रहे थे कि वह अपने बेटी से पूछ सके कि उसका इम्तिहान कैसा गया ।
उधर आरज़ू प्रतियोगिता भवन में बैठती है ,और प्रतियोगिता भवन में , अध्यापक रमेश की जगह अन्य अध्यापक को देख , आरज़ू निराश होती है , और अध्यापक रमेश के ना आने की वजह के बारे में सोचने लगती है ।
प्रतियोगिता आरंभ होती है , आरज़ू अपना पूरा ध्यान प्रतियोगिता में नहीं दे पाती और उससे प्रतियोगिता अधूरी छूट जाती है । जिसका आरज़ू को बहुत पछतावा होता है । और वह सोचती रहती है अब कैसे सबसे नज़रे मिलाउंगी यहीं सोचते हुए आरज़ू जैसे ही दरवाजे की तरफ, खड़े अपने पिता को देखती है तो अपनी करनी पर पचताती है ,और खुद को पिता के संपनो का दोषी मान , दौड़कर स्कूल की छत पर चढ , कूद जाती है ।
राजू के पिता भी श्याम को घर निराश मन से घर जाते है , और काफी गुस्से में घर का दरवाजा खटखटाते है ।
राजू की मां दरवाजा खोलती है , और तुरंत राजू के बारे में पूछती है ।
पिता के चहरे से गुस्से का भाव उड़ जाता है । और बैचैन आंखो से राजू को तलाशता है । सारी कोशिश कर , राजू का पिता हार जाता है और घर के कौने में बैठ खुद पर रोता है ।
पर घर का चिराग राजू फिर कभी वापस लौट कर घर नहीं आता है ।
Umeed se bandha Ek ziddi prinda h insaan, jo ghayal bhi umeedon se hai, or jinda bhi umeedon Pr Hai 💕💕🙏🙏
ReplyDeleteNibhate nhi h log aajkal, Warna insaaniyat se badkar rishta Kon Sa h
ReplyDelete