Monday, February 24, 2020

बस की मनपसंद सीट , और अफसोस

भारत में बस का सफ़र , यकीनन बहोत ही खूबसूरत होता है । अब बात चाहे long journey की हो या फिर शहर गांव के सफ़र की । दोनों ही सूरत में ये सफ़र और भी खबसूरत हो जाती है , जब आपको अपनी मनपसंद  सीट मिल जाती है।
फिर आपको वह सब चीज अचानक ही सुन्दर और अदभुत लगने लगती है , जिसका आपके वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं है ।
अब वह फिर चाहे Driver के बजते मनपसंद गाने हो , या फिर कंडक्टर के द्वारा लगाई जाने वाली आवाज़ या फिर उसका शोर । आप सब Enjoy ,कर रहे होते हैं । 
कुछ इसी तने बने में बुनी यह कहानी है l
तो आइए Alter Ishq की ये कहानी पड़ते है , उम्मीद है आपको पसंद आएगी । 

गांव का एक अल्हड़ लड़का , शहर आकर दो साल से काम कर रहा था । के अचानक उसके परिवार में उसके शादी की बात की चर्चा शुरू हो जाती है । और इस वजह से उसको रिश्ते की बात को आगे बढ़ाने के लिए गांव जाना पड़ता है । 

वह इस ख़बर के बाद खुश बहोत था , मानो अपनों से मिलने की उसकी व्याकुलता साफ साफ उसके चहरे पर देखी जा सकती थी ।  
चहरे पर मुस्कान , बातो में बचकानापन और  आंखो में चमक , साफ साफ उसकी इच्छाओं को प्रकाशित कर रही थी । 
उसे शहर से अपने गांव जाना था , सो उसने अपनी टिकट एक बस से करवाई , और अपनी पनपसंद सीट  ( जो हम आप की अक्सर होती हैं )  Window वाली ली और अपनी सीट पर उस दिन समय से पहले पहोच कर अपनी सीट पर बैठ गया । 
उस वक़्त बस की अधिकतर सीटें खाली थी । वह वक़्त से पहले को पहोंच जो गया था ।  धीरे धीरे बाकी पैसेंजर भी आने लगे ।
उसके मन में कल्पनाओं भाव उठने लगा ।  और दिमाग में सौ विचार , उछल कूद करने लगे ।  उसको ये फिक्र सता रही थी कि उसके साथ वाली सीट  पर कौन आएगा । 
के अचानक एक बेहद ही खूबसूरत लड़की उस बस के गेट से अंदर आती है और उस लड़की को देख , लड़के की पलके झुकना भूल जाती हैं । आंखे उसी को निहारने लगतव हैं, और दिल दिमाग बस यही सोच रहा होता है कि... बस वो उसके साथ वाली सीट उसकी हो । 
वह लड़की उसके पास आती है और सीट नंबर कन्फर्म करती है , लेकिन वह 3 4 सीटों का ज़िक्र करती है । तो दिमाग तैनात हो जाता है और उसके आस पास खड़ी उसकी family को भी देखता है । जिसमे उसका  भाई  और माता पिता  भी शामिल थे ।  जिनको उसकी आंखो ने देखने से इंकार सा कर दिया था ।
ख़ैर उनको देख दिमाग इत्मीनान से उनको सीट की डिटेल बताता है और खुद को तसल्ली देते हुए , बस के गेट की तरफ देखने लगता है ।
बस आगे चलने लगती हैं और वह लड़का , खूबसरत वादियों , नदियों , खेतो  , फसलों  और अपनी यादों का लुफ्त लेने लगता है । अपनी विंडो सीट का वह पूरा आनंद ले रहा होता है कि अचानक बस एक स्टॉप पर आकर रुकती है । 
और आंखे फिर उस बस के गेट पर चली जाती है । 
इस बार फिर एक खूबसरत लड़की बस में चढ़ती है और आकर, उस लड़के के आगे वाली सीट पर अंकल जी के साथ बैठ जाती है ।  
उस लड़की को देख,  उस लडके का मन अपने साथ में बैठे बूढ़े पर नाराज़ सिर्फ इसलिए होता है कि उन्हें भी उसी स्टॉप पर उतरना होता है । और वह कंडक्टर को आवाज़ देर से देते है । 
मन एक घने अफसोस के बदलो से गुजर जाता है । 

बूढ़े के उतारने के बाद बस चलती हैं , और वह लड़का  उस लड़की को देखते हुए , अपनी शादी को लेकर , खुशनुमा यादों में खो जाता है । 
क्या होगा, कैसा होगा ऐसे अनगिनत सवालों से उसका दिमाग़ लड़ने लगता है । 
पर मन ही मन वह अपनी सीट से ज्यादा , उस अंकल की सीट को महत्व देने लगता है  जिसके साथ वाली सीट पर वह खूबसरत लड़की बैठी थी । 


Tuesday, February 18, 2020

अनजानी सी गलती ...

हम आपकी जिंदगी में खुशियां का महत्व उतना ही हैं जितना फूलों में, महकती खुशबू का । इसी महकती खुशबू को जीने के लिए हम और आप अक्सर अपनों से हंसी मज़ाक करते हैं , जो हमारे भीतरी मन को गुदगुदाते है और हमारे मुख पर , प्यारी सी मुस्कान छोड़ जाते हैं ।

लेकिन कुछ पल ऐसे है , जो प्यार मोहब्बत और अपनेपन से भरे , इन खुबसूरत लम्हों को उदास कर जाते हैं ! और छोड़ जाते हैं अपनों के चहरे पर वो मायूसी , जो हम-आपको भी सताती है ।

कुछ ऐसी ही कहानी हैं , जहां ये Ishq बहुत चमकदार तो है पर अचानक इस Ishq की चमक धुंधली पड़ जाती हैं । और बनाती हैं Ishq की एक ऐसी कहानी , जो इस खुबसूरत Ishq को Alter बनाती है ।

तो शुरू करते हैं Alter Ishq की इस कहानी को , आशा करते हैं आप पसंद करेंगे ।

फरवरी महीने की बीतती सर्दी के बीच , शादी का ताना-बाना बुना जा रहा था , कहीं बेहतर पकवान बन रहे थे तो कहीं साजो सामान का ख्याल रखा जा रहा था और इसी के साथ-साथ रिश्तेदारों का जमावड़ा भी काफ़ी खुबसूरती से अपने पंख फैला रहा था । 

और ऐसे में,  हंसी मज़ाक से भरी बातों को करते,  बच्चों का एक झुंड , काफ़ी खिलखिला रहा था , जिसको देख , उस घर के बड़े भी अपनी भागीदारी , समय-समय पर दे रहे थे । 
सब बहोत खुश थे और खुब हंस रहे थे ।

माहौल बेहद ही खुशनुमा था , लेकिन उस झुंड में बैठी एक लड़की अचानक मायूस हो जाती है , और अपनी दोनों आंखों को नम कर , वहां से उठ बाहर चली जाती है । 

ऐसे में , पूरा माहौल शांत पड़ जाता है , और सबकी निराश नजरें , उस एक लड़के को निहार रही होती हैं जो कुछ देर पहले तक तो बहोत , बातूनी था , और इस बेहद खूबसूरत पलों का , एक खुबसूरत हिस्सा था ।
पर अब वह बिल्कुल नि:शब्द था । 

इतना शांत था , जैसे बंजर भूमि बिना फसल के दिखाई देती है । उसकी आंखें मानो , मौका तलाश रही थी इस बंजर भूमि को भिगोने का । 
 उसके लब उस लड़की से , अपने को निर्दोष कहना तो बहोत चाहते थे लेकिन उसकी ओर उठी नज़रों ने , उसके लबों , मानो कोई इजाज़त नहीं दी , कुछ भी बलने की।
 
लड़की की भीगी आंखें , उस लड़के के मन को हर वक्त तोड़ रही थी । और उसके चेहरे पर निराशा , के बादल छोड़ रही थी । 
उसे अपनी गलती का एहसास तो था , पर लड़की की आंखों से निकले आसूंओं और अपनो के चहरो पर आई निराशा का , उसको ज्यादा ख्याल था ।

थोड़ा वक्त बीतता है और वह लड़का , घर के द्वार पर बैठ ,  अपनी गलती के बारे में सोचता है ।  कि तभी  उस लड़की का फोन उसके फ़ोन पर आता है , और उसके द्वारा अनजाने की गलती को  , वह लड़की समझ , उसको दोशी नहीं बनाती है । 
उस लड़के के नि:राश मन , थोड़ा शांत होता है । 
और उस लड़की से अपनी बात , खुद के लबों से बोलने के बाद । उसका मन फिर मुस्कुराता है । और घर का 
माहौल फिर से खुशनुमा हो जाता है और सब बेहद खुश नज़र आते हैं। 

पर कहीं न कहीं , कुछ फासले ,अब दूरियों में बदलते नज़र आ रहे थे‌ उसे । 
जिससे उसका मन , अब भी एक सवाल में उलझा रहता है । कि .........
क्या,  वास्तव में उस लड़की ने, उसको माफ़ किया या नहीं ।







Friday, February 7, 2020

मुझे उससे मिलना था ...

वक़्त की करवटों के साथ , कहानियों का संग्रह होना लाज़िमी हैं । कहानियां जिसमें खुबसूरत यादों के , फूलों को पिरो , उसको एक माला का आकार दिया है । 
कुछ ऐसी ही खुबसूरत यादों का , एक सुन्दर सार है यह कहानी ।  जिनमें रोज़ की बातों से ज्यादा , उन नटखट , सुन्दर और आकर्षक पलों को बताया है , जिसमें ये कहानी बसती है , तो आईये शुरू करते हैं , ALTER ISHQ की ये कहानी , आशा है आपको पसंद आएगी .....!!

दुध सी सफेद , गर्मी का वो दिन,  जब वो पहले दफा , हमारे गली में खाली पड़े जमीन को देखने , अपने परिवार संग आई थी ।  और मैं उसी गली में दोस्तों के साथ कंचे खेलता हुआ  , उसको देख , देखते ही रह जाता हूं । 
8- 10 साल की उम्र में यह कैसा आकर्षण था जो बयान नहीं हो रहा था ।  जुबां तो कुछ कह नहीं रही थी , और आंखें किसी और से बोलना नहीं चाहती थी ।
 खैर जमीन का वो खाली हिस्सा उसकी Family खरिद लेती है । पर अपना घर,  वो 10-12  साल बाद उस खाली,  खरिदी जमीन पर बनवाते हैं । इंतजार के 10-12 साल बाद वो एक बार फिर से , मुझे दिखाई देती है ।
इस बार भी उसको देख , वहीं रुक जाने का दिल किया । इन ढूंढ़ती आंखों को बहोत बातें करनी थी उससे और लबों को तो मानो इन्कार कर दिया था कुछ कहने से ।
लेकिन उम्र के इस पड़ाव में , पैरों को चाहकर भी रोक ना सका , बदनाम ना हो जाऊं कहीं इन आंखों की मनमानियों से , इसलिए खुद को बहोत जल्दी रूकसद करना पड़ा ।  
माना एक अरसा गुज़ारा है इन आंखों ने खामोशियों में , पर बात भी तो ,अपनी गली की थी । 
फिर भी दिल ना जाने क्यों बहोत खुश था । शायद वो समझ बैठा था,  कि घर तो अब बनवा लिया है, तो कभी ना कभी मुलाकात तो होगी । और दिल को शायद इस बात की काफ़ी खुशी थी , कि 10 - 12 साल बाद ही सही , अब वो इन आंखों के पास तो रहेगी । 
लेकिन वह घर उन्होंने बनवाकर , किरदार को किराए पर दे दिया । 
और करीब 5-6  साल बाद,  उसका पूरा परिवार,  अपने घर में रहने के लिए आए ।
पर इस बार परिवार में सब तो दिख रहे थे , पर मन जिसको देख कर मिलना चाहता था , वो नहीं दिख रहा था । आंखें मानो बेचैन सी हो गई थी । लबों को इशारा तो बहुत किया , केहने को । लेकिन घबराईए आंखों से कुछ बोला नहीं जा रहा था ।
काफ़ी समय बाद लबों ने , हरकत दिखाई , तो उसकी शादी की बात सामने आई ।

उस दिन मैंने खुद से बेहद बातें की , खुद की गलतियां खोजी । 
आंखों को आईने के पास लेजाकर , उन आंखों से खुद को कई बार देखा । पर कुछ ख़ास जवाब , खुद से मिला नहीं ।
खैर यूं तो , 
मिलकर उससे , मुझे बहुत कुछ कैहना था ।
बीते इस लम्बे इन्तज़ार को , 
उसके चुनर में जड़ें , उस मोती सा छोटा करना था ।
हां , मुझे उससे मिलना था ....!!